Saturday, September 13, 2008

फिर वही

कल फिर दिल्ली में धमाके हुए .वही लाशों के ढेर ,वही प्रत्यक्ष्दर्शियो के बयां ,वही निंदा ,वही न्यूज़ चैनलों के अतिउत्साहित संवाददाता ,कोई सीधे लाश के बगल से रिपोर्ट कर रहा है तो कोई भीड़ का बयां ले रहा है की आपको कैसा लगा ?ये लाशों और खून में लथपथ टी.आरपि .,आपने अमेरिका का ९/११ देखा होगा ,एक भी घायल या मृत व्यक्ति का चित्र नही दिखाया गया था ,और हमारे यहाँ अगर बस के धक्के से भी किसीकी मौत होती है तो कैमरा लेकर पहुँच जाते हैं ये खून का जश्न मानाने वाले .इससे हमें क्या हाशिल होता है ?दहशत और बढती है ,,और जिनका सब कुछ लुट जाता है वे अपनों के खोने का ग़म भी नही मना पाते की उनके सर पर ये संवाददाता आ बैठते हैं तरह तरह का बेहूदा सवाल लेकर ,क्या ऐसा कोई कानून नही की इन मौत की ख़बरों का व्यापार करने वालों पर रोक लग सके?

2 comments:

Unknown said...

bahot sahi topic uthaya hai aapne...ye aaj ka burning issue hai...sochne ki baat ye hai ki kyon London /US/Madrid me ek ke baad dusri vaisi ghatna nahi hui...kyonki vahan ke govt ne koi mauka nahi diya anti social elements ko ki vo fir se repeat kar sake acts of terror...
yahi cheez missing hai hai yahan

Blessed Soul said...

Bahut hi umdaa likha hai...
Maut ka jashn manane wale saare channels....

S I-I /-\ I3 D.... I\I I R /-\ I\I T /-\ R

---i want to share my views