Monday, December 15, 2008
सर्दियाँ
इस साल भारी बरसात ने जो तबाही मचाई उससे लग रहा था की जबरदस्त ठण्ड पड़ेगा .लेकिन १५ दिसम्बर को भी २८ डिग्री तापमान है ,गर्मी का एहसास है .यह पर्यावरण असंतुलन का एक नमूना है .आखिर ऐसा क्यों ?सारे ग्लेशियर पिघल रहे हैं .गंगोत्री यमनोत्री से गंगा जमना की धारा सूक्ष्म और पतली हो गयी है .नदियों में वो प्रवाह नही है .जो पर्यटक गंगोत्री या जमनोत्री जा रहे हैं वे इतना कूड़ा कचरा छोड़ के आ रहे हैं की सारे पहाड़ गन्दगी की ढेर बनते जा रहे हैं .यही हाल ऋषिकेश हरिद्वार का भी है .मसूरी ,नैनीताल ,शिमला ...जहाँ भी जायेंगे लोगों का हुजूम गाड़ियों की कतार धुआं शोर हंगामा ..ऐसे में क्या सर्दियाँ ,क्या पहाड़ क्या मौसम के मज़े ?अब भी नही चेते तो एक दिन सब ख़तम हो जाएगा ..क्या पर्यटन से होने वाली आय के कारन हम इन खुबसूरत पहाडों को बर्बाद कर देंगे ...पहाडों पर डीजल चालित गाडियां बंद कर दी जायें ,पैदल चलने की आदत को प्रोत्साहित करें .बैटरी की गाडियां चलें बहुमंजिलीं इमारतें पहाडों पर नहीं बने .पर्यटक गाँव में ठहरें .तभी प्रकृति का सौन्दर्य बना रहेगा
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S I-I /-\ I3 D.... I\I I R /-\ I\I T /-\ R
---i want to share my views
3 comments:
bahut badhiya
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I want to live again
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