Saturday, September 19, 2009

सबक

जब सब कुछ ठीक चलता है तो लगता है येही सच है .सुख सम्पदा ,गाड़ी घोड़ा, पॉवर पोस्ट, पैसा कौडी इसी में मन रम जाता है .धीरे धीरे नहीं चाहते हुए भी अंहकार होने लगता है .दया ,सहानुभूति, मदद ,दान , पूजा पाठ ,ध्यान ,चिंतन मनन के लिए समय नहीं मिलता है ,रिश्ते नाते गुम होने लगते हैं ,गाँव घर बेगाना हो जाता है आदमी formal हो जाता है .बस आगे बढ़ने, और पाने की ललक में अंधी दौड़ शुरू हो जाती है की ...अचानक एक ठोकर लगती है और होश उड़ जाता है .जमीं पर गिरते ही पता चलता है की हम तो कुछ हैं ही नही .कोठी बंगला स्टाफ पिली बत्ती सब मृगतृष्णा है .सच है सिर्फ़ प्यार,इज्जत,ध्यान,पूजा .और फिर हाथ जोड़े भगवान के आगे गिडगिडाते हैं ..माफ़ कर दो प्रभु ...वो तो दयालु है ..माफ़ कर देगा लेकिन क्या हम कुछ सबक लेगें ,कुछ सीखेंगे ?

No comments:

S I-I /-\ I3 D.... I\I I R /-\ I\I T /-\ R

---i want to share my views