Thursday, October 2, 2008
दुर्गा पूजा और अन्तः चेतना
माँ भगवती की आराधना का महान पर्व हमें अपनी चेतना शक्ति जागृत करने की प्रेरणा देता है ,हमें अपने अंतःकरण में झाँकने की सद्प्रेरणा देता है.नव-रात्रि वस्तुतः नई रात्रियों का प्रतीक है। हमारा पुरा जीवन कलुषित भावनाओं और विचारों से आक्रांत है ,इसी नव रात्रि में हमारा नया जीवन प्रारम्भ होता है जब हम शुद्ध वातावरण में माँ की आराधना करते हैं और समस्त विश्व के कल्याण हेतु प्रार्थना करते हैं "सर्व मंगल मांगल्ये ,शिवे सर्वार्थसाधिके .... माँ का शक्ति रूप वस्तुतः हमारी शक्ति का प्रतीक है .हम जब जागेंगे तो मधु कैटभ का nash करेंगे मधु कैटभ क्या हैं ? ये राग द्वेष के प्रतीक हैं .हमें किसीसे राग या द्वेष नही करना चाहिए ,महिसासुर भैंसे का रूप धरे हुए है ,यह भैंसा जड़ता का प्रतीक है .आगे बढ़ने के लिए हमें जड़ता का नाश करना होगा .हम प्रत्येक रात्रि में अपने एक दुर्गुण का संहार करते हुए नवमी के दिन समस्त दुर्गुणों की बलि चढाते हैं और दशमी के दिन विजयी भावः से मस्तक पर टीका और कान पर जौ की नवांकुरित बालियाँ लगाये अपने बड़े बुजुर्ग का आशीर्वाद प्राप्त करके नया जीवन प्रारम्भ करते हैं .......
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