पिताजी एक लिंक थे .कम से कम उनके बहाने बबलू बराबर फ़ोन करता था ,दीदी भी कभी कभार मिलने चली आती थी घर से भी कुछ लोग आ जाते थे नित्या भी एकाध बार आया था परन्तु उनके जाते ही जैसे सब कुछ ख़तम हो गया .रोज रोज अस्पताल जाने का झमेला समाप्त ,फ़ोन करने का ,आने जाने का ,हालचाल पूछने का मामला ख़तम दवा का इलाज का खर्चा बचा अब सब लोग चैन से हैं .पिता जी ने मरने के बाद भी लोगों का भला ही किया
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