Saturday, September 27, 2008
चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएँ हम दोनों
इस अमर गीत के गायक महेंद्र कपूर के निधन की ख़बर से हर संगीत प्रेमी को दुःख हुआ होगा । प्रभु उनकी आत्मा को शान्ति दे !परन्तु उससे ज्यादा दुःख हुआ मीडिया और अंग्रेजी अखबारों की उदासीनता से .इस सदी के एक महान गायक के गुजर जाने की ख़बर हिन्दी अखबारों के एक कोने में प्रकाशित हुईं ,बस .अगर हॉलीवुड के पाल नेवमन ,,या कोई छोटा मोटा आर्टिस्ट भी गुजर जाता है तो अंग्रेजी के अख़बार परिशिस्ट निकाल देंगे .रूमानी ,लोकगीत ,और देशभक्ति गीतों के जादूगर महेंद्र कपूर किसी परिचय के मोहताज नहीं ,परन्तु आज वे सारे सुरीले नगमें याद आने लगे हैं .....हुस्न चला है इश्क से मिलने {हीर-रांझा},चलो एक बार ,आजा आजा रे तुझको मेरा प्यार पुकारे ,आ भी जा {गुमराह},तेरे प्यार का आसरा(धुल का फूल),नीले गगन के तले,तुम गर साथ देने का वादा करो ,तू हुस्न है मैं इश्क हूँ {हमराज़}मेरे देश की धरती {उपकार},,रामायण और महाभारत टी.भी सीरियल के टाइटल सॉन्ग,और अनगिनत भक्ति संगीत ,माता की भेटें .....शानदार आवाज़ ,दमदार आलाप,सच मच महेंद्र कपूर लाजवाब थे .यह सही है की उनको वो सफलता नही मिल पाई जो किशोर कुमार को मिली परन्तु उसका कारन यह था की चूँकि उनकी आवाज़ मु .रफी से मिलती थी तथा वे बी.आर.चोपडा कैंप से जुड़ गए थे इसलिए उनका भी वही हाल हुआ जो लता जी के सामने सुमन कल्यानपुर का हुआ .फिर भी आज भी जब यह गाना बजता है "अंधेरे में जो बैठे हैं ,नज़र उनपर भी तुम डालो अरे वो रौशनी वालों " तो महेंद्र कपूर का अपना दर्द उभर कर सामने आ जाता है ...............
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S I-I /-\ I3 D.... I\I I R /-\ I\I T /-\ R
---i want to share my views
1 comment:
महेंद्र कपूर का निधन अपूरणीय क्षति है
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