Friday, November 28, 2008

यह युद्ध है

धू धू कर जलता ताज ,दौड़ते कमांडो ,siren बजाते एंबुलेंस ,फायर-ब्रिगेड ,और जमीन में लेटे कैमरा मेन, तबाही का वो मंजर ,ये आतंकवाद नहीं सीधा युद्ध है ..फर्क येही है की पाकिस्तानी सेना बॉर्डर क्रॉस कर अन्दर नहीं घुस आयी है बल्कि उनके द्वारा trained गुरिल्ला वार करने वाले जेहादी यह लडाई लड़ रहे हैं .हमें १०-२० आतंकियों को मारने के लिए सेना,कमांडो,मार्कोस,पुलिस,सबको झोंकना पड़ा और बदले में ats प्रमुख करकरे,dcp आमटे ,एनकाउंटर स्पेसिअलिस्ट सलस्कर सहित कितने सिपाही शहीद हो गए .निर्दोष नागरिकों की तो बात ही छोड़ दें. हम लाख खुश हो लें की हमने ६० घंटों में सारे आतंकियों को मार गिराया अपनी बिल्डिंगें छुडा ली लेकिन पुरी दुनिया के सामने हमारी जो किरकिरी हुई हमारी जो नाक कटी उसकी भरपाई कैसे होगी ?यह तो आतंकियों की टेस्ट लडाई थी कल को वे किसी बड़ी बिल्डिंग में घुश जायेंगे और ये दिवाली मना ने लगेंगे अब तो चेतें मनमोहन और अडवाणी .कुछ तो करें ,प्रणव मुखर्जी की बात क्या मानेगा जरदारी वोह तो isi चीफ को भेजने से रहा .ये लोग इंदिरा गाँधी की भाषा ही समझते हैं .आज हमें इंदिरा गाँधी की जरुरत है .कहाँ से लायें उन जैसा कोई ?

Wednesday, November 26, 2008

मुंबई धमाका

कल रात हुआ धमाका सबसे भयानक था .एकदम अंग्रेजी फ़िल्म की तरह.होटल में घुसकर आतंकवादी कार्रवाई .ए.टी.एस.के प्रमुख सहित कई पुलिस पदाधिकारी शहीद हुए .सौ से ऊपर निरपराध लोग मारे गए .अब विडम्बना देखिये ,ऐ .टी.एस. की सारी शक्ति मालेगांव कांड की जांच में लगी हुयी थी .साध्वी को पकड़ना ,नार्को टेस्ट ,रिमांड,में पुरी ताकत झोंक रखी थी इन लोगों ने .और पुरा समंदर खुला छोड़ रखा था ...आतंकवादी घुसे और तहस नहस करके चले गए .अब क्या करेंगे ये लोग .वही स्केच बनेगा ,कोई रामपुर में धरायेगा ,कोई भायंदर में ,सारे छुटभैये पकड़े जायेंगे .शिवराज पाटिल सूट बदलते रह जायेंगे ,कोई कहेगा इस घटना की सुचना पहले ही दी गयी थी .साइकिल मरम्मत करने वाले ,ड्राईवर ,खाना देने वाले ,पकड़े जायेंगे .लेकिन किंगपिन नहीं धरायेगा .वोह तो मंद मंद मुस्कुराते हुए अगली घटना की प्लानिंग में व्यस्त होगा .यह जानते हुए भी की सारी आतंकी कार्रवाई पड़ोसी देश कर रहा है ,हमारी घिघी बंधी हुई क्यों है ,क्यों नही हम अमेरिका की तरह चढ़ बैठते हैं ,अमेरिका में ९/११ के बाद क्यों कोई बड़ी घटना नही हुई ,और हमारे यहाँ क्यों रोज रोज ये घटनाएँ हो रही हैं ..क्या हम failed state हैं .या नपुंसक .क्या हमारे लिए वोट से बड़ा कुछ नही ..क्या आतंकियों को फाँसी देने से सचमुच मुस्लिम वोट बिगड़ जाएगा ,क्या पोटा लगाने से लालू मुलायम बिदक जायेंगे ,बस यही सोचते रहें ..देश जाए भांड में ...

Friday, November 21, 2008

मालेगांव का सच

अभी मालेगांव ब्लास्ट की धूम मची हुई है। अख़बार हो या टी.भी .हर जगह मालेगांव, ऐ.टी.एस. और साध्वी प्रज्ञा ,कर्नल पुरोहित के चर्चे हैं.ऐसा प्रतीत हो रहा है की जाँच अजेंसिओं ने कितना बड़ा रहस्य खोज लिया है .हिंदू आतंकवाद का एक शगूफा छेड़ कर मुख्य मुद्दे से भटकने की क्या तरकीब ढूंड निकाली है कांग्रेस पार्टी ने .अब कोई राज ठाकरे की गुंडागर्दी पर सवाल नही उठा रहा है , अहमदाबाद जयपुर ब्लास्ट की अब कोई चर्चा नही कर रहा है .अब मुस्लिम मतदाता को खुश करना है की देखो अब हिंदू आतंकवाद के नाम पर हिंदू साधू संतों को कैसा परेशान करते हैं .दावूद को तो नहीं पकड़ पाए चलो एक महिला साध्वी को पकड़ने की बहादुरी ही देखा देते हैं.कांग्रेस को ग़लतफ़हमी है की ऐसा करने से मुस्लिम वोट उनकी झोली में जा गिरेगा लेकिन सेना और पुलिस का ऐसे मामलों में दुरूपयोग कांग्रेस को बहुत भारी पड़ेगा

Thursday, October 2, 2008

दुर्गा पूजा और अन्तः चेतना

माँ भगवती की आराधना का महान पर्व हमें अपनी चेतना शक्ति जागृत करने की प्रेरणा देता है ,हमें अपने अंतःकरण में झाँकने की सद्प्रेरणा देता है.नव-रात्रि वस्तुतः नई रात्रियों का प्रतीक है। हमारा पुरा जीवन कलुषित भावनाओं और विचारों से आक्रांत है ,इसी नव रात्रि में हमारा नया जीवन प्रारम्भ होता है जब हम शुद्ध वातावरण में माँ की आराधना करते हैं और समस्त विश्व के कल्याण हेतु प्रार्थना करते हैं "सर्व मंगल मांगल्ये ,शिवे सर्वार्थसाधिके .... माँ का शक्ति रूप वस्तुतः हमारी शक्ति का प्रतीक है .हम जब जागेंगे तो मधु कैटभ का nash करेंगे मधु कैटभ क्या हैं ? ये राग द्वेष के प्रतीक हैं .हमें किसीसे राग या द्वेष नही करना चाहिए ,महिसासुर भैंसे का रूप धरे हुए है ,यह भैंसा जड़ता का प्रतीक है .आगे बढ़ने के लिए हमें जड़ता का नाश करना होगा .हम प्रत्येक रात्रि में अपने एक दुर्गुण का संहार करते हुए नवमी के दिन समस्त दुर्गुणों की बलि चढाते हैं और दशमी के दिन विजयी भावः से मस्तक पर टीका और कान पर जौ की नवांकुरित बालियाँ लगाये अपने बड़े बुजुर्ग का आशीर्वाद प्राप्त करके नया जीवन प्रारम्भ करते हैं .......

Sunday, September 28, 2008

नवरात्र या दुर्गा पूजा

कल से नवरात्र शुरू हो रहा है .कहीं माँ दुर्गा की आराधना ,कहीं डांडिया,कहीं रामलीला.विविधताओं के इस देश में पर्व मनाए के तरीके अलग अलग हैं लेकिन भावना वही है --श्रद्धा ,भक्ति,उमंग,प्यार,तप और त्याग.दुर्गा पूजा असत्य पर सत्य के विजय का पर्व है .रावन वध और माँ दुर्गा के हाथों दैत्यों का संहार प्रतीक है अधर्म पर धर्म के विजय का.हम माँ दुर्गा की प्रतिमाएँ स्थापित करते हैं उन्हें सजाते हैं ,पूजते हैं ,फिर विजय दशमी के दिन उनका विसर्जन कर देते हैं .माँ हमारे घर नौ दिन विराजती हैं .और हम इन नौ दिनों को त्यौहार के रूप में मनाते हैं .नए वस्त्र,पकवान ,मेले,.......लेकिन आज भय और आतंक के इस माहौल में क्या हम डरे सहमे से नही हैं ? ये रोज रोज की आतंकवादी घटनाएँ हमारे उत्साह पर ग्रहण लगा रही हैं ,मेलों में जाने में डर लग रहा है ,बाहर रह रहे परिवार के सदस्यों की सुरक्षा की चिंता में हम त्यौहार की खुशी मन नही पा रहे हैं बाढ़ पीडितों ,बम ब्लास्ट में हताहत ,जातीय धार्मिक दंगों में मारे गए लोगों के परिवार पर क्या बीतेगी ?हम माँ दुर्गा का अहवान करें की माँ फिर चंडी का रूप धारण कर इन पापियों का संहार करो और पीड़ित परिवारों को आशीष दो की वे फिर से अपने पैरों पर खड़े होकर तुम्हारी आराधना कर सकें .

Saturday, September 27, 2008

चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएँ हम दोनों

इस अमर गीत के गायक महेंद्र कपूर के निधन की ख़बर से हर संगीत प्रेमी को दुःख हुआ होगा । प्रभु उनकी आत्मा को शान्ति दे !परन्तु उससे ज्यादा दुःख हुआ मीडिया और अंग्रेजी अखबारों की उदासीनता से .इस सदी के एक महान गायक के गुजर जाने की ख़बर हिन्दी अखबारों के एक कोने में प्रकाशित हुईं ,बस .अगर हॉलीवुड के पाल नेवमन ,,या कोई छोटा मोटा आर्टिस्ट भी गुजर जाता है तो अंग्रेजी के अख़बार परिशिस्ट निकाल देंगे .रूमानी ,लोकगीत ,और देशभक्ति गीतों के जादूगर महेंद्र कपूर किसी परिचय के मोहताज नहीं ,परन्तु आज वे सारे सुरीले नगमें याद आने लगे हैं .....हुस्न चला है इश्क से मिलने {हीर-रांझा},चलो एक बार ,आजा आजा रे तुझको मेरा प्यार पुकारे ,आ भी जा {गुमराह},तेरे प्यार का आसरा(धुल का फूल),नीले गगन के तले,तुम गर साथ देने का वादा करो ,तू हुस्न है मैं इश्क हूँ {हमराज़}मेरे देश की धरती {उपकार},,रामायण और महाभारत टी.भी सीरियल के टाइटल सॉन्ग,और अनगिनत भक्ति संगीत ,माता की भेटें .....शानदार आवाज़ ,दमदार आलाप,सच मच महेंद्र कपूर लाजवाब थे .यह सही है की उनको वो सफलता नही मिल पाई जो किशोर कुमार को मिली परन्तु उसका कारन यह था की चूँकि उनकी आवाज़ मु .रफी से मिलती थी तथा वे बी.आर.चोपडा कैंप से जुड़ गए थे इसलिए उनका भी वही हाल हुआ जो लता जी के सामने सुमन कल्यानपुर का हुआ .फिर भी आज भी जब यह गाना बजता है "अंधेरे में जो बैठे हैं ,नज़र उनपर भी तुम डालो अरे वो रौशनी वालों " तो महेंद्र कपूर का अपना दर्द उभर कर सामने आ जाता है ...............

Thursday, September 25, 2008

गरीब

आमतौर पर गरीब उसे ही माना जाता है जिसके पास धन नही है ,परन्तु मेरे विचार में सबसे गरीब वो है जो अकेला है ,जिसके करीब उसका कोई नही है .जो बात करने को तरसता है ,कुछ सुनना चाहता है कुछ सुनाना चाहता है ,लेकिन नंगी दीवारों के अलावा कुछ नही है .सन्नाटा है तन्हाई है .ऐसे लोगों से बात करना ,उनका दुःख दर्द बाँटना सबसे बड़ा धर्म है .लोग पैसों से मदद करना सबसे बड़ा पुण्य समझते हैं ,मगर प्यार से बड़ा कोई दान नही है .जो अकेले हैं उनका हाथ थाम कर उनकी आखों में आँख डाल कर दो प्यार भरे शब्द बोलना सबसे बड़ी इबादत है .we pyaar ke bhukhe hain ,unhe pyaar do

Thursday, September 18, 2008

पित्री पक्षः

पित्री पक्षः शुरू हो गया है .यह पक्षः पितरों की याद में मनाया जाता है .लोग अपने पितरों कीआत्मा की शान्ति के लिए पिंड दान करते हैं ,खासकर गया(बिहार) में फल्गु नदी के किनारे विष्णुपद मन्दिर के प्रांगन में देश विदेश से लाखों लोग इकठा होते हैं .मान्यता है की यहाँ श्री राम ने भी महाराजा दशरथ का पिंड दान किया था .बड़ी महान परम्परा है .परन्तु मन्दिर के बाहर सैंकडों बूढे-बूढी भीख मांगते मिल जायेंगे .इन्हे इनके बाल बचों ने बेघर कर दिया है .यह हकीकत है की आज पैसे वालों के माता पिता अस्पतालों में दिन गुजारते हैं ,और मध्यम वर्ग इन्हे ओल्ड होम में फ़ेंक आता है .जिंदा के साथ कोई बात करने वाला नही ,और मरे हुए के लिए पिंड दान का नाटक .सच में ''जिंदा रहे तो लठम-लट्ठा मरे तो ले गए काशी'' ही हमारी असलियत है .जिन्दों को प्यार करो पितर अपने आप खुश हो जायेंगे .

आज का विचार :अगर आपके हृदय के रेजर में धार नही है तो परिस्थितियों के शेविंग क्रीम को दोष देने से कोई फायदा नही

Saturday, September 13, 2008

फिर वही

कल फिर दिल्ली में धमाके हुए .वही लाशों के ढेर ,वही प्रत्यक्ष्दर्शियो के बयां ,वही निंदा ,वही न्यूज़ चैनलों के अतिउत्साहित संवाददाता ,कोई सीधे लाश के बगल से रिपोर्ट कर रहा है तो कोई भीड़ का बयां ले रहा है की आपको कैसा लगा ?ये लाशों और खून में लथपथ टी.आरपि .,आपने अमेरिका का ९/११ देखा होगा ,एक भी घायल या मृत व्यक्ति का चित्र नही दिखाया गया था ,और हमारे यहाँ अगर बस के धक्के से भी किसीकी मौत होती है तो कैमरा लेकर पहुँच जाते हैं ये खून का जश्न मानाने वाले .इससे हमें क्या हाशिल होता है ?दहशत और बढती है ,,और जिनका सब कुछ लुट जाता है वे अपनों के खोने का ग़म भी नही मना पाते की उनके सर पर ये संवाददाता आ बैठते हैं तरह तरह का बेहूदा सवाल लेकर ,क्या ऐसा कोई कानून नही की इन मौत की ख़बरों का व्यापार करने वालों पर रोक लग सके?

Friday, September 12, 2008

आज बच्चा सोकर उठता है तो किताबों के साथ ,सोता है तो कल के टेस्ट के बारे में सोचते हुए ,और दिन बिताता है तो सिर्फ़ आई आई टी में एडमिसन के बारे में चर्चा करते हुए .ऐसा नही की उसका aim आई आई टी है ,बल्कि ५ साल की उम्र से उसके माँ बाप ने उसके दिमाग में ये बात डाल दी है की आई आई टी के बिना जीने से बेहतर है मर जाना.और उसे बताया जाता है की एक आई आई टी पास इंजिनियर को १० लाख मिलते हैं ,विदेश जाने का मौका मिलता है ,वगैरह -२.अब बच्चा आर्ट्स पढ़ना चाहता है,या पेंटिंग करना चाहता है ,या उसकी म्यूजिक में रूचि है ,कोई फर्क नही पड़ता ,उसे कोटा भेज दिया जाता है , दिल्ली भेज दिया जाता है और बार बार लगातार बस एक ही धुन आई.आई.टी। अब बच्चा टेंशन को अपना साथी बना लेता है ,अगर आई आई टी में नही हुआ ,तो डिप्रेशन ,अवसाद ,घुटन ...और फिर drugs ,शराब और कभी कभी सुसाईड ,इसका जिम्मेबार कौन ? माँ-बाप .आई आई टी के बाहर भी दुनिया है सफलता है ,लेकिन इन लोभी लालची माँ-बाप को कौन समझाए ?

Thursday, September 4, 2008

भाई-भाई

जब झारखण्ड अलग हुआ था तब कुछ लोगो ने बाहरी भीतरी का नारा देकर घृणा और द्वेष की दिवार खड़ी करनी चाही थी परन्तु अभी अभी बिहार में आए बाढ़ के कारन प्रभावित लोगों के लिए खुले दिल से जो सहायता झारखण्ड के लोगों ने दी है उसकी कोई मिसाल नही .यहाँ के लोगों ने ये बता दिया की भले ही बिहार ने बरसों यहाँ के आदिवासियों और सदानों के साथ भेद भावः बरता है लेकिन संकट की इस घड़ी में झारखण्ड ने छोटा भाई होने का फ़र्ज़ निभा दिया है .

आज का विचार

""हर कोई स्वर्ग जाना चाहता है परन्तु मरना कोई नही चाहता ""

S I-I /-\ I3 D.... I\I I R /-\ I\I T /-\ R

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